पंच परमेष्ठी आरती (Panch Parmeshthi Aarti)

पंच परमेष्ठी आरती (Panch Parmeshthi Aarti)


इह विधि मंगल आरति कीजे,

पंच परमपद भज सुख लीजे ।

इह विधि मंगल आरति कीजे,

पंच परमपद भज सुख लीजे ॥

पहली आरति श्रीजिनराजा,

भव दधि पार उतार जिहाजा ।

इह विधि मंगल आरति कीजे,

पंच परमपद भज सुख लीजे ॥


दूसरी आरति सिद्धन केरी,

सुमिरन करत मिटे भव फेरी ।

इह विधि मंगल आरति कीजे,

पंच परमपद भज सुख लीजे ॥


तीजी आरति सूरि मुनिंदा,

जनम मरन दु:ख दूर करिंदा ।

इह विधि मंगल आरति कीजे,

पंच परमपद भज सुख लीजे ॥


चौथी आरति श्री उवझाया,

दर्शन देखत पाप पलाया ।

इह विधि मंगल आरति कीजे,

पंच परमपद भज सुख लीजे ॥


पाँचमि आरति साधु तिहारी,

कुमति विनाशन शिव अधिकारी ।

इह विधि मंगल आरति कीजे,

पंच परमपद भज सुख लीजे ॥


छट्ठी ग्यारह प्रतिमाधारी,

श्रावक वंदूं आनंदकारी ।

इह विधि मंगल आरति कीजे,

पंच परमपद भज सुख लीजे ॥


सातमि आरति श्रीजिनवानी,

‘द्यानत’ सुरग मुकति सुखदानी ।

इह विधि मंगल आरति कीजे,

पंच परमपद भज सुख लीजे ॥

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